हाँ हमसा बावरा ! बेसबर बेसुकूं बेसबर मैं हूँ
साथ इक ख़याल, आपका ख़याल
दिन और रात्त, रात और दिन ... हर पल हर सू
छोड़ दूं आपको या आपके ख़याल को ...नहीं ..नहीं,.. नहीं ...नहीं
बेसबर बेसुकूं बेसबर मैं हूँ
डूबती समाती आपसी लौ की रूहानी रौशनी में
कुछ नहीं ये रात के दिल, दिन के रूह
नहीं नहीं नहीं नहीं ये आपसे बहें हैं आपसे बहें हैं
ओह इक रात इक रात
और आपका इक वादा
तभी से तभी से गिन रहे गिन रहे
दिन और रात...पूरा दिन , पूरी रात
आप ही की चाह और आपका इंतज़ार, आप ही की चाह
आप के ही...आप के ही गिरफ्त में हमारी हथकड़ी
गुलाम बने संग चल रहे किस भटके काफिले में
ज़ुरूर ज़ुरूर जुनून दिखायेंगे इसे बावरा बनायेगे
ये नाचती रूह ये डोलता सुकून सहे न रातों के बाद दिनों का कारवां
और दिन पे दिन रातों का सामना हर सू हर डगर हर पल किस बंधन का बांधना
जुनून दिखायेंगे इसे बावरा बनायेगे ... जुनून दिखायेंगे इसे बावरा बनायेगे
हाँ हमसा बावरा हाँ हमसा बावरा
भेद रही चुभ रही आपकी रोशन तीरंदाजी
घायल हुए जाते जिनकी रूहानी ज़र्रे की ज़ोर से
वही मेरे रूह की ज़मीं मेरे रूह की ज़मीं
भेद रही चुभ रही आपकी रोशन तीरंदाजी
... वही मेरे रूह की ज़मीं और ज़मीं रूह की
आप ही की चाह बेसबर बेसुकूं बेसबर मैं हूँ
जुनून दिखायेंगे इसे बावरा बनायेगे ... जुनून दिखायेंगे इसे बावरा बनायेगे
हाँ हमसा बावरा हाँ हमसा बावरा |